प्राचीन मिस्र की सभ्यता ( Egyptian Civilization) मानव इतिहास की सबसे आकर्षक और स्थायी संस्कृतियों में से एक है। यह अपनी अद्भुत उपलब्धियों के लिए जानी जाती है , जैसे कि वास्तुकला , कला , धर्म और शासन। यहाँ प्राचीन मिस्र की सभ्यता के कुछ प्रमुख पहलुओं का वर्णन किया गया है: 1. भूगोल और समाज - स्थान : प्राचीन मिस्र उत्तरी अफ्रीका में स्थित था , मुख्य रूप से नील नदी के किनारे , जो कृषि के लिए उपजाऊ भूमि प्रदान करता था। - समाज : समाज एक पदानुक्रमित संरचना में व्यवस्थित था , जिसमें सबसे ऊपर फिरौन ( Pharaoh) होता था , उसके बाद पुजारी , कुलीन और फिर सामान्य लोग , जैसे किसान और श्रमिक। 2. फिरौन और शासन - फिरौन : मिस्र के शासक दिव्य माने जाते थे और उन्हें देवताओं और लोगों के बीच मध्यस्थ माना जाता था। उनके पास पूर्ण शक्ति होती थी और वे "मा '...
डॉक्टर मनमोहन सिंह नहीं रहे. 92 साल की उम्र में एम्स, दिल्ली में उनका निधन हो गया. वह दस साल भारत के प्रधानमंत्री रहे. 1991 में आर्थिक दिवालिया होने की कगार पर खड़े देश को उबारने से लेकर 2004 में एक गठबंधन की सरकार की जिम्मेदारी लेने तक, कई बेहद निर्णायक मौकों पर उन्होंने देश को संभाला, संवारा. उनका जाना कांग्रेस पार्टी के सिर से एक मार्गदर्शक, सूझबूझ के धनी अभिभावक का चले जाना है. बतौर एक अध्येता, राजनेता उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति को नई दिशा दी. डॉक्टर साहब के ही प्रधानमंत्री रहते हुए वह आर्थिक उदारीकरण हुआ, जिससे लाइसेंस राज समाप्त हुआ और अर्थव्यवस्था निखरी. मनमोहन सिंह की सरकार मेे सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, भोजन से लेकर रोजगार तक के अधिकार के लिए योजनाएं आईं.
बयान में एक कसक और दूरदर्शिता भी
ये बयान उन्होंने तब दिया था जब उनके नेतृत्त्व की काफी आलोचना हो रही थी. भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर उन्हें सिंह की तुलना में एक मजबूत नेता के तौर पर पेश कर रही थी. ऐसे में, मनमोहन सिंह ने मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि उनका नेतृत्त्व कहीं से भी कमजोर नहीं था और इतिहास उनके साथ न्याय करेगा. इस बयान में मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता तो थी ही, साथ ही तब की मीडिया से एक शिकायत भी थी. शिकायत या यूं कहें एक कसक कि उन्होंने जो अच्चे काम किए, उसको मीडिया ने शायद उतनी तरजीह नहीं दी, जितनी दूसरी बातों को दी. 10 बरस के कार्यकाल में मंत्रिमंडल के स्तर पर एक अस्थिरता का जो आलम रहा, मनमोहन सिंह ने उसकी एक वजह गठबंधन की राजनीति की मजबूरी बताया.
मृदुभाषी, शालीन, धीर-गंभीर राजनेता
उनकी कई खास बात में से एक ये भी रही कि उन्हें कभी ऊंची आवाज में किसी को ललकारते या दुत्कारते हुए उन्हें नहीं सुना गया. एक शालीन, मृदुभाषी और धीर-गंभीर राजनेता मनमोहन सिंह बेहद तल्ख राजनीतिक माहौल में भी मौन, मुस्कान के साथ ही दिखलाई दिए. एक ऐसे समय में जब संसद में धक्का-मुक्की और अपशब्द तक के इस्तेमाल की भारतीय संसद साक्षी हो चली हो, एक सांसद के तौर पर उनके कार्यकाल को याद करना सुखद है. जहां उन्होंने संसदीय परंपरा को कभी भी अपने स्तर से तार-तार नहीं होने दिया. तीन दशक से भी ज्यादा समय तक राज्यसभा सदस्य रहते हुए संसद को समृद्ध किया. शारीरिक तौर पर अस्वस्थ होने के बावजूद भी व्हीलचेयर पर बैठकर कई अहम मौकों पर संसद पहुंचे. जो ठीक लगा, सो कहा. विनम्र श्रद्धांजिल.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें